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शेर
मैं इक मज़दूर हूँ रोटी की ख़ातिर बोझ उठाता हूँ
मिरी क़िस्मत है बार-ए-हुक्मरानी पुश्त पर रखना
एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी
शेर
नेमतों को देखता है और हँस देता है दिल
महव-ए-हैरत हूँ कि आख़िर क्या है मेरे दिल के पास
हरी चंद अख़्तर
शेर
हक़ अच्छा पर उस के लिए कोई और मिरे तो और अच्छा
तुम भी कोई मंसूर हो जो सूली पे चढ़ो ख़ामोश रहो
इब्न-ए-इंशा
शेर
क़मर जलालवी
शेर
मिरी रफ़ीक़-ए-नफ़्स मौत तेरी उम्र दराज़
कि ज़िंदगी की तमन्ना है दिल में अफ़्ज़ूँ फिर
अब्दुल अहद साज़
शेर
सिवा उस के न कोई और मेरा दोस्त बन पाए
वो इस डर से ज़माना में मुझे बदनाम करता है
निशांत श्रीवास्तव नायाब
शेर
मिरे साज़-ए-नफ़स की ख़ामुशी पर रूह कहती है
न आई मुझ को नींद और सो गया अफ़्साना-ख़्वाँ मेरा
इज्तिबा रिज़वी
शेर
मेरे नाले के न क्यूँ हो चर्ख़-ए-अख़्ज़र ज़ेर-ए-पा
ख़ुत्बा ख़्वान-ए-इश्क़ है रखता है मिम्बर ज़ेर-ए-पा
शाह नसीर
शेर
इस क़दर की सर्फ़ तस्ख़ीर-ए-परी-रूयाँ में उम्र
रफ़्ता रफ़्ता नाम मेरा अब परी-ख़्वाँ हो गया